Hmarivani

www.hamarivani.com

Hmarivani

www.hamarivani.com

रविवार, 3 जनवरी 2010

भय


भय जीवन में क्यों आता है, ये शायद हमें नहीं मालूम होता|इसका कारण होता है कि  जैसा हम सोचते हैं, हमें वही प्राप्त होता है| इसको समझने के लिए मैं एक कहानी  बताती हूँ-"एक समय कि बात है एक व्यक्ति घूमते घूमते किसी दूर देश में जा पहुंचा| धुप  के तेजी से पसीने से लथपथ था वो पथिक| थक कर चूर हो गया था, थकावट मिटने के लिए वो पेड़  के नीचे बैठा|पेड़ कल्पवृक्ष का था,ये पथिक को नहीं मालूमथा|पथिकसोचने लगाकियदिहमेंएकशय्या मिलजाये आराम सेसो जाता, चूँकि कल्पवृक्षथा|अतः उसकी मनोकामना पूरी हुयी उसके सामने शय्याआ गयी |पथिककोअचम्भा हुआ,अब उसने सोचाकोईयुवती पांव दबाती|यह संकल्पउठते हीएकयुवती  उसके पांव  दबाने लगी|अबपथिककि इक्षाये बढतीगयी, 
अबवोसोचने लगाकिमुझे लज़ीज़ भोजन मिल जाता  तो अच्छा होता|इतना सोचते ही
लाजवाब भोजन आगया| पथिक ने अपनी भूख मिटाई|अब पथिक सोचने लगा कि
 ये तो घना जंगल है कहीं शेर आ गया तो क्या होगा, इतना सोचते ही एक शेर
 आकर पथिक का खून चूस लिया एवम पथिक मारा गया|"
 कहने  का तात्पर्य यह है कि हम इश्वर कि उपासना के वक्त इश्वर से सब कुछ मागते है साथ में एक भय को ले कर वही भय हमारे जीवन में शेर कि भांति आकर सताते हैं|यदि हम इश्वर से मन कि शांतिमागेगे तो जीवन भी सार्थक होगा क्योकि जितना हमभाग्य में लिखा कर लायें है  न तो उसे  कोई  छीन   सकता है| नाही उसे कोई ले सकता है|

1 टिप्पणी: