Hmarivani

www.hamarivani.com

Hmarivani

www.hamarivani.com

शनिवार, 6 नवंबर 2010

आखिर खुशियाँ कहाँ है??

हम सभी खुशियों के तलाश में रहते हैं लेकिन किसी से यदि ये पूछो कि आप तो आनन्द से हो .तो उसका यही जवाब होता है कि नहीं मैं तो जीवन से बहुत परेशान हूँ............अब प्रश्न ये उठता है कि आखिर खुशियाँ कहाँ है??हम आनन्द को कहाँ ढूढें?आनंद कि तलाश में सभी रहतें हैं किन्तु ख़ुशी बहुत कम लोगों को मिलती है ऐसा क्यों होता है? इसका मुश्किल है किन्तु नामुमुकिन नहीं ...............मै किसी पत्रिका में पढ़ रही थी कि एक बार नेहरूजी से किसी ने पूछा कि आप हमेशा खुश रहते हैं आपको कभी भी तनाव नहीं होता इसका राज़ क्या है? नेहरु जी ने कहा कि मैं  बच्चों  से स्नेह करता हूँ प्रकृति से प्यार करता हूँ दूसरे कि कही बातों पर ध्यान नहीं देता  अपना काम  स्वयं करता हूँ यही हमारे प्रसन्न रहने का राज़ है|
  ये सत्य है कि हमें खुशियाँ छोटी छोटी चीज़ों में मिलती है,कीमती वस्तु में या बहुत धनि होने में ये ख़ुशी का दायरा सिमट जाता है |प्रकृति से लगाव, दूसरों में खुशिया बाटने का चाव ही हमें खुशियाँ देता है|त्यौहार पर यदि हम किसी गरीब का चूल्हा जलवा देते है तो उसकी ख़ुशी में ही हमारी खुशियाँ है|हम जब किसी के परेशानी  में उसका सहारा बनते हैं उसकी अचानक आई परेशानी जब दूर होती तो उसकी उस जीत में ही हमारी ख़ुशी है|
आनन्द तो हमारे द्वार पर रहता है किन्तु हम उसकी तलाश में पूरा जीवन व्यर्थ में गवां देते हैं हम भी कस्तूरी मृग के समान हैं जो कि कस्तूरी अपने नाभि में रख कर पुरे वन में उस सुगंध को तलाशता है|हम मानव जीवन में है जिसे ज्ञान है तो हम क्यों पशु कि तरह अपना ही बारे में क्यों सोचे |दूसरों  कि ख़ुशी में जल कर राख ना हों शायद हम यहीं से खुशियाँ जोड़ सकते हैं |
दीपावली कि शुभकामना  के साथ यही आशा है कि सब के घर माँ लक्ष्मी ढेरों खुशियाँ के साथ आएगी.............................