सोमवार, 15 मार्च 2010
गुढी पाडवा
गुढी पाडवा अर्थात चैत्र मास की प्रतिपदा महाराष्ट्र में मनाये जाने वाला नववर्ष|नूतन वर्ष का यह पहला दिन|पौराणिक काल से ही यह मान्यता है की इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की|अतः इस दिन सुबह घरघर में ध्वजा फहरायी जाती है|सभी देवी देवता की पूजन की जाती है|गुढी पाडवा के दिन मराठी लोग अपने घरों की साफ सफाई कर घर के सामने शुभकारी गुडी लगाते है|द्वार पर तोरण लगा कर और रंगोली सजा नव वर्ष का स्वागत किया जाता है|एक लम्बी लकड़ी पर नीम एवम आम के पत्ते, रेशमी वस्त्र, गांठी , फूलों के हार आदि लगा कर उस पर चंडी ,तांबा,पीतल अथवा स्टील का छोटा लोटा लगाया जाता है| इसका विधिवत पूजन कर महाराष्ट्रीय लोग नव वर्ष का स्वागत करते है|
गुडी पाडवा अपने साथ वसंत ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म की शुरूआत की सूचना लाता है|इस दिन नीम की पत्तियां चबाने अथवा नीम की पत्तियों की चटनी बनाने का भी चलन है|गुढी को विजय पताका माना जाता है,जोमन में वीरता और उत्साह का संचार करती है |गुढी पाडवा का पर्व नव वर्ष के आगमन के साथ ही समानता ,विश्व बंधुत्व और सत्य तथा धर्म की राह पर चलने का सन्देश देता है|
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भारतीय नववर्ष 2067 , युगाब्द 5112 व पावन नवरात्रि की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंरत्नेश त्रिपाठी
नव संवत्सर 2067 व नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं..
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