जिला मुरैना में शनिचरा पहाड़ी पर स्थित ,श्री शनिदेव मंदिर का देश में बहुत महत्व है /यह देश का सबसे प्राचीन त्रेता युग का शनि मंदिर है /यहाँ स्थापित प्रतिमा भी विशेष एव अद्भुत है / ज्योतिषियों के अनुसार यह मूर्ति आसमान से टूट कर गिरे उल्का पिंड से निर्मित हुयी है /एक एनी कथा के अनुसार हनुमान जी ने अपनी बुद्धि चातुर्य से कम लेते हुए शनिदेव को लंकापति रावण के पैरों के नीचे से मुक्त कराया था और कई वर्षों तक दबे रहने के कारण शनिदेव दुर्बल हो चुके थे /लंका दहन के लिए शनिदेव ने बताया की जब तक वे वहन रहेगे लंका दहन नहीं हो सकता /तब हनुमानजी ने शनिदेव को मुरैना के इस पर्वत पर पहुंचाया ,जिसे अब शनि पर्वत कहा जाता है /
शनिदेव की मूर्ति स्थापना चक्रवर्ती रजा विक्रमादित्य ने की थी/
श्री शनिदेव का परिचय
पिता ---सूर्यदेव
माता --छाया (सुवर्ण)
भाई --यमराज
बहन --यमुना
गुरु --शिवजी
गोत्र--कश्यप
रूचि --अध्यात्म ,कानून ,कूटनीति ,राजनीती
रंग --श्याम -कृष्ण
स्वभाव --गंभीर ,त्यागी हठी ,क्रोधी ,न्यायप्रिय
प्रिय सखा --कालभैरव ,हनुमानजी ,बुध ,राहू
राशि --मकर ,कुम्भ
अधिपति --रात
कार्यक्षेत्र --न्यायदाता
दिन शनिवार, तिथि - अमावस्या
नक्षत्र --अनुराधा ,पुष्य ,उत्तरभाद्र पक्ष
रत्न --नीलम
वस्तुए -कलि वस्तुए ,तेल ,काली उड़द ,चना ,
धातु ---लोहा इस्पात
रोग ---वातरोग ,कैंसर ,कुष्ठ ,
प्रभाव --साढ़े सात वर्ष
महादशा --19 वर्ष
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