गृहस्थ आश्रम
१. गृहस्थ आश्रम ही ऐसा आश्रम है जहाँ पूरे परिवार के साथ प्रभु के प्रार्थना की जाती है |
२. सुशील माता संतान को अच्छे संस्कार देकर भाग्य का स्तम्भ और सुखों का नींव डालती हैं |
३. प्रत्येक माँ को घर को मंदिर बना कर घर का काम काज इस प्रकार करना चाहिए की वही प्रभु की पूजा बन जाये |
४. पत्नी और पति का सच्चा प्यार तभी होता है जब दोनों का प्रेम परमात्मा की ओर झुकता है |
५. परिवार ऐसा होना चाहिए जहाँ बड़े छोटों की रक्षा करें ओर छोटे बड़ों की सेवा एवं आदर करें |
६. वह व्यक्ति धन्य है, जो गृहस्थ आश्रम के कार्य को कर के भी ईश्वर की वंदना करता है |
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