रहिमन करि सम बल नहीं, मानत प्रभू की धाक
दांत दिखावत दी ह्यै, चलत घिसावत नाक
कविवर रहीम जी के मतानुसार हाथी के समान किसी में बल नहीं है पर वह भी भगवान की शक्ति को मानता है और अपनी नाक जमीन पर रगड़ता हुआ चलता है। यहां रहीम जी ने विनम्रता के गुण का बखान किया है।
हाथी जो सभी जीवों में शक्तिशाली है वह जमीन पर सूंढ़ को रगड़ता हुआ चलता है। यह इस बात का प्रमाण है कि शक्तिशाली व्यक्ति को विनम्र होना चाहिये। जिसमें विनम्रता नहीं है वह शक्तिशाली नहीं होता। बरगद का पेड़ झुका है तभी किसी को छाया दे पाता है। यानि शक्तिशाली लोग दूसरों को आसरा देते हैं और दूसरों की भलाई के बारे में सोचते हैं ।
एक बात और है कि अगर हमारे अंदर कोई विशेष गुण या वस्तु है तो उसका भी अहंकार न कर दूसरों के साथ उसका लाभ बांटना चाहिये। यही होता है आदमी की शक्ति का प्रमाण कि वह दूसरे में हौंसला और विश्वास बढ़ाये न कि उसे गिराये।
रविवार, 8 नवंबर 2009
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