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शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

दान पुण्य

दान देना एक पुण्य का कार्य है किन्तु लोगों में असमंजसता रहती है  कि दान हमें कब क्यों एवम कैसे देना चाहिए?दूसरा लोगों में ये भी भावना रहती है कि हम परिश्रम से अपने लिए कमा रहें तो हम क्यों दें?
दान एक ऐसा विषय है इस  पर जितना लिखो उतना कम है|दान हमें क्यों करना चाहिए?पहला प्रश्न ये उठता है?दान हमें इसलिए करना चाहिए क्योकि दान करने से मिला हुआ गुप्त आशीर्वाद हमारी धरोहर होती है जो कि हमें और हमारे बच्चों के काम आती है ये एक ऐसी धरोहर है जिसे कोई ना तो चुरा सकता है ना ही बाँट सकता है|
अब प्रश्न उठता है कि दान कब करना चाहिए दान करने का कोई ना तो वक्त होता है और ना ही उम्र होती है जब भी जरूरत हो तो पीछे नहीं हटना चाहिए |
तीसरा प्रश्न होता है कि दान किसे करना चाहिए? दान उसे ही करना चाहिए जो असमर्थ हो, जिसे सच में ज़रूरत हो|जो परिश्रम करने में जी ना चुराता हो|उसे आपकी दी हुयी  चीज़ों की आवश्यकता हो|
दान क्या करना चाहिए?दान कोई ज़रूरी नहीं है कि सोना चाँदी,धन दौलत इत्यादि हो|दान कुछ भी हो सकता है,आपकी सेवा भाव, आपकी मुस्कुराहट,आपका वक्त|यदि सामर्थ्य है तो किसी का जीवन बना कर|दान कभी भी दिखावा में नहीं करना चाहिए क्योंकि वो कभी फलता नहीं|गुप्त दान हमेशा ही अच होता है|

दान कितना करना चाहिए, क्या सब दान करना चाहिए,अपने बच्चों  के लिए कितना  छोड़ना चाहिए? अपने बच्चों के लिए केवल उतना ही छोड़ना चाहिए जितने में उनका भविष्य बन सके इतना नहीं छोड़ना चाहिए कि वो अपने जीवन में कुछ ना कर सकें|
हम राजा हरिश्चंद्र  या कर्ण तो नहीं बन सकते किन्तु शायद इतना तो कर सकते हैं कि किसी का दिल ना दुखाएं यदि हो सके तो मुस्कुराहट एवम वक्त तो थोडा दान कर ही सकते है वो भी निश्छल भाव से|

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