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रविवार, 13 दिसंबर 2009


आखिर मैं ही राजा विक्रमादित्य क्यों हुआ ?
  


एक बार राजा विक्रमादित्य के मन में यह जानने की इक्षा हुई कि आखिर   मैं ही राजा क्यों हुआ | उन्होंने मंत्रियों एवम राजपुरोहितों को बुला कर अपने दिल की बात सबके समक्ष रखी और बोला कि जो भी मेरे प्रश्न का जवाब देगा , उसे मैं स्वेक्षा से बहुत इनाम दूगाँ| रजा के प्रश्न सुनने के पश्चात सभी इसका उत्तर ढूंढने में लग गये, धीरे धीरे महीनों बीत गया, किन्तु प्रश्न का उत्तर न मिल पाया| राजा ने फिर से राजपुरोहित को बुलया,और पूछा किआपने मेरे  प्रश्न का उत्तर अभी तक नहीं दिया है |मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर तत्काल चहिये |आप दो दिन के अन्दर ये बताइए कि आखिर मैं ही राजा क्यों हुआ? राजपुरोहित चिंताग्रस्त घर वापस आया, वो बहुत परेशान था|राजपुरोहित के साथ उसकी विधवा बहु रहती थी, उसने राजपुरोहित से पूछा ,कि पिताजी आप चिंताग्रस्त क्यों है? राजपुरोहित ने अपनी चिंता का कारण उसे बताया |तब उसकी बहु ने कहा कि आप परेशान मत होइए ,इस प्रश्न का उत्तर मैं राजा को दूगीं|राजपुरोहित असमंजस में थे, कि मैं अपनेघर की बहु को राजमहल कैसे ले जाऊं? किन्तु बहु ने आग्रह किया और साथ ही राजपुरोहित के पास इसके अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं था, वो राजमहल अपने बहु के साथ गए |
वहाँ सभी आश्चर्यचकित थे |राजा के प्रश्न दोहराने पर वो महिला बोली कि हे राजन आप यहाँ से सौ योजन दूर दक्षिण की तरफ जाओ,वहाँ एक साधू आग कहा रहा होगा वो आपके प्रश्न का जवाब देगा |राजाने शुक्रिया कहा एवम दुसरे दिन दल बल के साथ अपने प्रश्न के उत्तर की तलाश में बताये हुए स्थान की तरफ निकल पड़े| ठीक बताये हुए स्थान पर वो साधू मिला, और उसने आगे का मार्ग बतया कि आगे सौ योजन दूरी पर एक और साधू मिलेगा जो अपने शरीर का मांस खा रहा होगा ,वो आपके प्रश्न का जवाब देगा | राजा वहां से फिर आगे की ओर प्रस्थान किया, उन्हें वो साधू मिला ,वो देखते ही बोला राजन तुम अपने उत्तर की तलाश में आगये किन्तु मैं भी इसका जवाब नहीं दूंगा |तुम्हें आगे जाना होगा एक राज्य मिलेगा वहाँ एक बच्चे को जन्म लेना है किन्तु उसकी आयु कुछ ही घंटों की है वो आपके प्रश्न का जवाब देगा वहाँ से आपको सबका उद्धार करना है वहाँ से आपको कहीं नहीं जाना पड़ेगा |राजा इतना सुनकर उस राज्य की तरफ बढ़े |वहाँ एक बच्चे का जन्म हो चुका था, राजा ने वहाँ सारी बात बताई ,तब वहाँ के राजा ने कहा कि लिखंत को कोइ  टाल नहीं सकता यदि आपके प्रश्न का उत्तर मिलता है तो आप जरूर पूछीये, इतना कह कर उन्होंने  बच्चे को बुलवाया, बच्चे ने  तुरंत कहा राजन आपने थडी देर कर दे है ,अब मेरे जाने का वक्त हो गया है, किन्तु ये मुझे जंगल में दफनायेगें आप रात बारह बजे आना मैं आपको को बताऊंगा  कि आप ही राजा कैसे बने ?राजा विक्रमादित्य का सब्र का बाँध उनमें समां नहीं रहा था, किन्तु वो रात तक प्रतीक्षा की एवम रात्री में बताये हुए स्थान पर पहुंच कर मृत शरीर को निकाला, बालक की मृत शरीर में एक बार फिर चेतना आई और उस  बालक ने बताना शुरू किया कि पिछले जन्म के कर्म का ये फल है जो हम लोग भुगत रहें है |तुम तीन लोग के जरिये यहाँ तक पहुंचे अर्थात हम चार लोग हुए ,हम चरों पूर्वजन्म में भाई बहन थे |एक बार भोजन का संकट हुआ हम लोगों के पास एक एक रोटी थी, हम लोग भोजन करने जा रहे थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई, सबसे बड़े भाई जो कि आग खा रहें हैं उन्होंने दरवाज़ा खोला देखा साधू भोजन की इक्षा जता रहा है, तो उन्होंने झिडकते हुए कहा कि मैं  तुमको रोटी देदूं तो क्या मैं आग खाऊं? तो वो इस जन्म में आग खा रहें हैं |दुसरे भाई ने कहा कि यदि मैं तुमको रोटी दे दूं तो क्या मैं अपना मांस खाऊं? उनका वो वचन सत्य हुआ और वो इस जन्म में अपना मांस खा रहें हैं |मैं तीसरा भाई था जिसने ये कहा कि तुमको रोटी देकर क्या मैं जन्मता मारता रहूँ ?यही कारण है कि मे जन्म लेकर मर जाता हूँ |जो स्त्री आपको मिली थी वो हमारी बहन थी, उसने आधी रोटी दिया था इसलिए वो आधा सुख भोग रही है |राजन आप सबसे छोटे थे किन्तु आपने अपनी पूरी रोटी उस साधू को दिया ,साधू ने आपको ढेरों आशीर्वाद दिया और यही कारण है कि आज आप राजा है और हम सभी अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं ,राजन अब हमारे जाने का समय होगया है किन्तु आपसे निवेदन है कि आप हमें मुक्ति दिलाओ क्योकि यह कार्य केवल आप ही कर सकते हो |इतना कहने के पश्चात् वो शरीर फिर मृत हो गया| राज वापस राज्य को आ कर सबका उद्धार कराया |सबको मुक्ति मिली |
कहने का तात्पर्य यही था कि इश्वर कभी भी प्रत्यक्ष नहीं आयेगे हमें उन्हें पहचानना होगा |इसलिए इश्वर का रूप सब में दे |

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