Hmarivani

www.hamarivani.com

Hmarivani

www.hamarivani.com

मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

बिल्वपत्र



शिव पूजा में बिल्व पत्र अर्थात बेलपत्र की महिमा अत्यधिक है, इसके बारे में शिवपुराण जैसे ग्रन्थ व्याख्या भरपूर करते हैं| जो व्यक्ति दो अथवा  तीन बेलपत्र भी शुध्द्तापूर्वक भगवन शिवजी पर चढ़ाता है,तो उसे निःसंदेह भवसागर से मुक्ति प्राप्ति होती है| जो व्यक्ति अखंडित (बिना कटा हुआ ) बेलपत्र भगवान शिव पर चढ़ाता है, वह निर्विवाद रूप से अंत में शिव लोक को प्राप्त होता है| बिल्व वृक्ष के दर्शन, स्पर्शन व प्रणाम करने से ही रात- दिन के सम्पूर्ण पाप दूर हो जाया  करते हैं| चौथ, अमावस्या, अष्टमी, नवमी, चौदस, संक्रांति, और सोमवार के दिन बिल्वपत्र तोडना मना है|
 बिल्वपत्र सदैव  उल्टा अर्पित करें,अर्थात पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर रहें| बिल्वपत्र में चक्र एवम वज्र नहीं होना चाहिये |कीड़ों द्वारा बनाये हुए सफ़ेद चिन्ह को चक्र कहते हैं|एवम बिल्वपत्र के डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते हैं|बिल्वपत्र चढाते समय बिल्वपत्र में तीन से ग्यारह दलों तक के बिल्वपत्र प्राप्त होतें हैं, ये जितने अधिक पत्रों के  हों, उतना ही उत्तम होता है| बिल्वपत्र कटे   फटे एवम कीड़े के खाए नहीं होने चाहिए|
महादेव को बिल्वपत्र  अर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं ---
त्रीद्लं त्रिगुनाकारम त्रिनेत्रम च त्रिधायुतम|
त्रीजन्म पापसंहारम एक बिल्व शिव अर्पिन||"                             
बिल्वपत्र मिलने की मुश्किल हो तो उसके स्थान पर चांदी का बिल्वपत्र चढ़ाया जा सकता है |जिसे नित्य शुद्ध जल से धो कर शिवलिंग पर पुनः स्थापित कर सकते हैं| 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें