ईश्वर सर्वव्यापी है |ऐसा हम सभी कहते है|इसे कुछ लोग मानने को तैयार होते है,तो कुछ नहीं|कुछ लोग मूर्ति पूजा में ही विश्वास रखते हैं, तो कुछ लोग पुराण में|कुछ लोग पुर्णतः नास्तिक होते हैं|किन्तु आस्तिक होने के पश्चात भी ईश्वर को ढूढना कुछ अजीब सा लगता है|ऐसी ही एक कहानी याद आती है, एक बार एक बकरी चराने वाला चरवाहा ईश्वर का दर्शन करना चाहता था| वो बहुत परेशान रहने लगा, उसका मन किसी भी कार्य में नहीं लगता था|एक दिन एक साधू उधर से निकले, उस चरवाहे कि बकरियों के झुण्ड से एक बकरी का बच्चा साधू के इर्द गिर्द घुमने लगा,साधू ने उसे गोद में ले लिया एवम उसे स्नेह देने लगे ,चरवाहे ने आश्चर्यचकित होकर पूछा महात्मन आप ये क्या कर रहें है?आप पूजा करने जा रहें है?ये तो आप अपवित्र होगये?साधू ने मुस्कुराते हुए कहा वत्स में अपवित्र नहीं हुआ ईश्वर स्वयं मेरे गोद में आये हैं|चरवाहा साधू का मुख देख रहा था,साधू ने निर्मल भाव से कहा ईश्वर को जिसमें तुम देखोगे उसी में दिखेगायदि इस भेड़ बकरी में देखोगे तो यहीं प्राप्त हो जायेगा|ये तो केवल तुम्हें सोचना है|चरवाहे को अब समझ आ चुकी थी|वो साधू के चरणों में गिर पड़ा और बोला आपने मेरी आखें खोल दी अब मुझे ईश्वर के दर्शन हमेशा मिलेगा |
यदि मनुष्य चाहे तो इसी प्रकार कि सोच रख कर शांत चित्त जीवन यापन भलीभांति कर सकता है अन्यथा जीवन को ही कोसता फिरता है|
गुरुवार, 7 जनवरी 2010
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