ज्योतिषशास्त्र एवम अन्धविश्वास दोनों का आपस में कोई मेल नहीं हैं|इसके बारे में मैं पहले भी लिख चुकी हूँ|ज्योतिष एक शास्त्र है एक विद्या है जबकि अन्धविश्वास अशिक्षित लोगों द्वारा फैलाई गयी भ्रांतियां है|ज्योतिष कि पूर्ण शिक्षा होती है जैसे कि प्रत्येक विद्यालयों में कक्षा लगती है ठीक उसी प्रकार संस्कृत विद्यालयों में ज्योतिष शास्त्र कि श्रेणियां होती है,जबकि अन्धविश्वास एक दूसरे के द्वारा सुनिसुनायी बातें होती है|इसकी कोई पुस्तक नहीं होती|ज्योतिषशास्त्र हमारे ऋषि मुनियों द्वारा शोध करने के पश्चात मनुष्य जीवन का ग्रहों के साथ सम्बन्ध बताया है|अन्धविश्वास पर कभी कोई शोध नहीं हुआ है|
हाँ हमें अन्धविश्वास को जरुर रोकना चहिये किन्तु ज्योतिष का मजाक बना कर या फिर ज्योतिषशास्त्र का अपमान करके नहीं|ज्योतिषशास्त्र का अपमान करना अर्थात हम अपने संस्कृति का अपमान कर रहें है,एक तरफ हम भारतीय होने का दावा करते है दूसरी तरफ अपने यहाँ के ऋषियों का अपमान करते है|उस समय यान नहीं था कि हमारे ज्योतिषशास्त्र के जन्मदाता चंद्रमा पर जा कर अध्धयन करते,किन्तु उन्होंने नक्षत्र पर,ग्रहों पर अध्धयन किया एवम मानव जीवन से उनका रिश्ता कायम किया किन्तु आज वर्तमान युग में हम विदेशी वैज्ञानिको को प्राथमिकता दे रहे हैं,उन्हें सबसे महान बता रहें हैं किन्तु अपने ऋषियों द्वारा शोध करके बनाये गए शास्त्र पर ऊँगली उठा रहे हैं|ये कितना उचित है?
अन्धविश्वास पूरी तरह से हटना चाहिए किन्तु बिना ज्योतिषशास्त्र को अपमानित किये|
सही कहा आपने....आज जरूरत है तो बस इस दैवीय विद्या में गहराई तक रच बस चुके झूठ को सत्य से पृ्थक करने की!
जवाब देंहटाएंकिसी की कोई गल्ती नहीं .. जिस क्षेत्र में समर्पित लोगों से अधिक ठग हो जाएं .. उस क्षेत्र को उपेक्षित होना ही है !!
जवाब देंहटाएंअच्छा आलेख..सही विश्लेषण!!
जवाब देंहटाएंमेरा मानना आपसे जरा जुदा है।
जवाब देंहटाएंमेरी निगाह में ज्योतिष और अंधविश्वास में कहीं कोई अंतर नहीं है। दोनों का ही काम भ्रम फैलाना है।