भय जीवन में क्यों आता है, ये शायद हमें नहीं मालूम होता|इसका कारण होता है कि जैसा हम सोचते हैं, हमें वही प्राप्त होता है| इसको समझने के लिए मैं एक कहानी बताती हूँ-"एक समय कि बात है एक व्यक्ति घूमते घूमते किसी दूर देश में जा पहुंचा| धुप के तेजी से पसीने से लथपथ था वो पथिक| थक कर चूर हो गया था, थकावट मिटने के लिए वो पेड़ के नीचे बैठा|पेड़ कल्पवृक्ष का था,ये पथिक को नहीं मालूमथा|पथिकसोचने लगाकियदिहमेंएकशय्या मिलजाये आराम सेसो जाता, चूँकि कल्पवृक्षथा|अतः उसकी मनोकामना पूरी हुयी उसके सामने शय्याआ गयी |पथिककोअचम्भा हुआ,अब उसने सोचाकोईयुवती पांव दबाती|यह संकल्पउठते हीएकयुवती उसके पांव दबाने लगी|अबपथिककि इक्षाये बढतीगयी,
अबवोसोचने लगाकिमुझे लज़ीज़ भोजन मिल जाता तो अच्छा होता|इतना सोचते ही
लाजवाब भोजन आगया| पथिक ने अपनी भूख मिटाई|अब पथिक सोचने लगा कि
ये तो घना जंगल है कहीं शेर आ गया तो क्या होगा, इतना सोचते ही एक शेर
आकर पथिक का खून चूस लिया एवम पथिक मारा गया|"
अबवोसोचने लगाकिमुझे लज़ीज़ भोजन मिल जाता तो अच्छा होता|इतना सोचते ही
लाजवाब भोजन आगया| पथिक ने अपनी भूख मिटाई|अब पथिक सोचने लगा कि
ये तो घना जंगल है कहीं शेर आ गया तो क्या होगा, इतना सोचते ही एक शेर
आकर पथिक का खून चूस लिया एवम पथिक मारा गया|"
isse kuch shiksha log le suke to achcha hoga bahut hi achcha likha hai
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