आज IBN7 पर एक आइडियल पुरस्कार दिखाया जा रहा था जिसमे विकलांगो, मानसिक विकार,मूक बधिर जैसे क्षेत्र में जिन्होंने कार्य करके एक मुकाम तक पहुंचाया उन्हें ये पुरस्कार प्रदान किया गया| आज ये देख कर इतना अच्छा लगा की अभी भी हमारे यहाँ कुछ लोग ऐसे है जो इतना सोचते है|कुछ तो इसी से पीड़ित है इसमें एक सज्जन ने कहा जो की पोलियो के शिकार हो गए थे की "जाके पाय न फटी बेवाई,वो क्या जाने पीर परायी" सही बात है इन्हें समझ पाना बहुत मुश्किल होता है|
इनका हौसला बढ़ाना ही सबका कर्तव्य है किन्तु इतना सोचने का वक्त मिलता कहाँ है लोगों को| किन्तु आज इन्हें जब पुरस्कार से नवाज़ा गया तो नयन से अश्रु न चाहते हुए भी निकल पड़े की चलो कभी किसी ने तो इनकी सुध ली|यदि इसी प्रकार पुरस्कार का सिलसिला चले तो और लोग भी आगे आयेगे, एवम समाज का कल्याण होगा|ख़ैर....आज का ये सम्मान दिल में इस प्रकार बैठा कि लगता है दुनिया में कितना गम है मेरा गम तो कितना कम है.....हम तो जबरदस्ती के टेंशन पालते है जबकि इस दुनिया में कितने लोग है जिन्हें ईश्वर के तरफ से ही कष्ट मिला है किन्तु वो इसे हंस कर झेल रहे है| हाँ कष्ट तब वाकई ज्यादा होता है जब सरकार की नाइंसाफ़ी होती है एवम समाज में भी दर्ज़ा नहीं मिलता|
किन्तु अंत में एक बार मैं IBN7 कि इस कोशिश को सलाम करती हूँ और दिल से यही इक्षा रखती हूँ कि इसमें जितने ज्यादा लोग शामिल हो उतना ही अच्छा होगा इस समाज के लिए भी एवम इससे पीड़ित लोग भी आगे आ पायेगें|वो अपनी एक पहचान बना पायेगे|
मंगलवार, 26 जनवरी 2010
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