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बुधवार, 4 नवंबर 2009

गृहस्थ आश्रम

१. गृहस्थ  आश्रम ही ऐसा आश्रम है जहाँ पूरे परिवार के साथ प्रभु के प्रार्थना की जाती  है |


२. सुशील माता संतान को अच्छे संस्कार देकर भाग्य का स्तम्भ और सुखों का नींव  डालती  हैं |


३. प्रत्येक माँ को घर को मंदिर बना कर घर का काम काज इस प्रकार करना चाहिए की वही प्रभु की  पूजा बन जाये |


४. पत्नी और पति का सच्चा प्यार तभी होता है जब दोनों का प्रेम परमात्मा की  ओर झुकता है |


५. परिवार ऐसा होना चाहिए जहाँ बड़े छोटों की  रक्षा करें ओर छोटे बड़ों की  सेवा एवं आदर करें |                                                                                


६. वह व्यक्ति धन्य है, जो गृहस्थ आश्रम के कार्य को कर के भी ईश्वर की वंदना करता है |  

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