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बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

भारतीय परिधान साडी का आधुनिकीकरण

नवयुग आधुनिकीकरण का युग है|आज हम सब चीज़ों  को तोड़ मरोड़ कर आधुनिकता की चादर में लपेटे जा रहें  जा है|ठीक इसी प्रकार पुरातन से चली आ रही भारतीय परिधान साडी का भी आधुनिकीकरण कर के पुर्णतः पोस्टमार्टम   किया जा रहा है|साडी जिसमें नारी को एक सम्मान मिलता था,एक मर्यादा होती थी ,पांच मीटर की लम्बी साडी उस पर ब्लावुज़ जिसमें नारी सर से पावँ तक ढकती थी, वही साडी अब देख कर लगता है कि साडी में दोष है या फिर नारी में?
वर्तमान युग में टीवी का चलन हो गया है, जैसा उसमें कपडे पहनने का दिखाया जाता है हमारे यहाँ की महिलाएं उसे तुरंत अपनाती है|आजकल का फैशन इतना टीवी के सीरियल से जुड़ गया है कि यदि आप बाज़ार जाएँ तो दुकानदार साडी का नाम सीरियल के नाम से पूछता है कि आपको कौन सी साडी चाहिए?फिर साडी कि खरीददारी के बाद साडी पहनने कि बात आती है, तो फिर वही सीरियल आता है कि किसी x.y.z  सीरियल में किसी x.y.z ने कुछ हट कर साडी बाँधी थी  ठीक  उसी  प्रकार  साडी उन्हें भी चाहिए होती है|अब वो साडी ऐसी बाँधी गयी होती है कि शरीर का आधा से ज्यादा भाग खुला होता है तभी वो मॉडर्न  प्रतीत होते है|बाकि जो मर्यादा में साडी बांधते है उन्हें उपाधि दी जाती है "बहनजी टाईप " है|
आजकल नया रियल्टी शो शुरू हुआ है उसमें पन्द्रह लड़कियां  है शायद जिन्हें भारतीय परिधान साडी,घाघरा से बहुत लगाव है तभी तो कपड़ों का पूरी तरह चीरहरण  हो रहा है|कपड़े पहने जाते है शरीर को ढँक कर एक सुंदर एवम सुव्यवस्थित रहने के लिए|कपड़ों से नारी कि मर्यादा बढती है,कपडे चाहे सलवार कुरता हो, या पैंट कमीज़ हो या फिर साडी जैसे परिधान जब नारी सही तरीकों में रहती है तो भारतीय नारी किएक अलग शोभा बढती है|

कपड़ों का आधुनिकीकरण करो किन्तु ऐसा ना कर दो कि ना तो विदेशी रह जाये नाहि स्वदेशी में रह जाये|क्योकि  मर्यादा में रह कर किया गया प्रत्येक कार्य बहुत खुबसुरत होता है|

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