शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
होली के दिन ......
होली का त्योहार आते ही बचपन के दिन आखों के सामने घूम जाता है अब ना तो वो समय रहा ना ही माता पिता रहे ना ही वो घर रहा जहां बचपन बीता, आज होली में उत्साह भी नहीं दिखता जो हमारे बचपन मन होता था शायद इसका कारण है अब हम ज्यादा विकसित हो गएँ है या फिर यूँ कहिये कि अब हम आलसी हो गए है जो त्योहार को मनाने में हिचकिचाते है| अब वो खुशबु घर घर से आनी कम हो गयी हैं अब वो चुहल रंगों को लेकर एक दूसरे पर डालना, हफ्ते भर पहले से तैयारियां शुरू हो जाना, ये चीज़े अब कहाँ रही?
मुझे आज भी याद है जब हम सभी बैठकर होली की तैयारियां करते थे कि सुबह कितने बजेसे होली खेलेगे और होली के दिन सुबह से हम सब मिलकर एक दूसरे को रंग लगाना शुरू कर देते थे,दोपहर दो बजे तक हम लोग रंगों में सराबोर रहते थे|शायद मैं उत्तर भारत के बाहर हूँ इसलिए मुझे लगता है कि त्योहार कि कमी हो गयी है|क्योकि होली का असली मज़ा हमारे इलाहबाद में ही है जब भईया तीन दिन कि होली खेली जाती है |और रंगों को छुड़ाने में पूरा एक हफ्ता लगता है, भाई तभी तो पता चलता है की हमने भी होली खेली है अगर रंग लगाओ और तुरंत छूट गया तब तो पाता ही नहीं चलेगा की हमने भी होई खेली है, फजीहत होती है नयी बहु और दामाद की जिन्हें हमारी होली का पता नहीं होता और बिचारे फंस जाते है हमारे रंगों के जाल में |हम लोग नए लोगों का स्वागत करना खूब जानते है इसीलिए ढूंड ढूंड कर पक्के रंगों का इंतजाम रखते है अरे भाई ससुराल की पहली होली तो ऐसी होनी चाहिए जिसे हमेशा अच्छी यादों में रक्खे|
मेरा ससुराल तो मेरे पीहर जैसे है जब भी मै वहाँ होती हूँ बहुत ही मस्ती करती हूँ वही जब मुझे घर से हट कर होली में रहना पड़ता है तो केवल यादे ही साथ रहती है वो मस्ती, वो अपनापन जरुर अखरता है|यद्यपि जहां भी रहती हूँ कोशिश यही रहती है की सभी को अपने रंगों में मैं रंग लूँ लेकिन फिर भी मुझे वहाँ की सस्कृति में रंगना पड़ता है ...........होली की यादे तो इतनी है की एक पन्ना यदि खुला तो वो कड़ी एक में एक जुडती जाएगी होली का त्योहार चला भी जायेगा लेकिन यादे ख़त्म ना होगी|
होली की ढेरों शुभकामनाये!!!!!!!!!!
फाल्गुन मास आया,साथ अपने रंगों का सौगात लाया,
पूरा मास फाग गया अपनों ने,
सबने मिलकर कान्हा को नहलाया ,
वृन्दावन में,
बरसाने की होली ने प्रसिद्धी पाया,
आओ हम सब मिलकर,
एक दूसरे को रंगों से नहलाये ,
सबको गुझिया, और मिठाई खिलाये,
दिल से बैर निकालकर
सच्चे मन से सबको गले लगाये,
यही है असली त्योहार ,
जब सबके मन में जगे विश्वास.....
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