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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

टीवी ड्रामा ...राहुल दुल्हनिया ले जायेगा.........

इन दिनों पैसा बनाने की होड़ में सभी टीवी चॅनल वाले लगे है फिर शो चाहे जैसा भी हो?इसके  बारे मैने पहले भी जिक्र किया था किन्तु मुझे ये नहीं मालूम था कि ये इतना घटिया शो होगा|सबसे पहले दूल्हा जिसके स्वयं के चरित्र का अता पता नहीं है| मुझे जो बात सबसे ज्यादा खटकती है इस शो में  वो ये कि  फिर से नारी को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है जहाँ राहुल महाजन जैसे लोग तय करेगें कि लड़की उनके काबिल है कि नहीं?अब तो यही सोचने का दिल करता है कि सूप तो सूप अब चलनी भी बोलने लगी जिसके खुद में बहत्तर छेद  हैं|
एक तरफ तो हम नारी के सम्मान कि बात करते है दुसरी तरफ नुमाईश लगा कर पन्द्रह लडकियों को बैठा कर नारी का अपमान कर रहें हैं |छोटी छोटी बात पर हमारे  समाज  सुधारक नेतागण बगावत पर उतर आते है ये सिनेमा नहीं दिखाने देगे या फिर इस नेता को नहीं आने देगे या फिर  खेल सम्बन्धी बखेड़ा........किन्तु क्या ऐसे प्रोग्राम उन्हें दिखाई नहीं पड़ते या फिर उन्हें ऐसे कार्यक्रम रास. आते है|नारी कि शोभा आगे बढने में है नाकि पीछे जाने में |नारी मर्यादा कि मूरत है|हमारे देश कि महिलाओं का यदि सोचा जाये जिनको हमारे यहाँ सम्मान से देखा जाता है तो दिल करता है कि काश हम भी ऐसे ही होते चाहे वो लता मगेश्कर हो, या फिर इंदिरा गाँधी|या फिर  मदर टेरेसा, या फिर किरन बेदी कुछ महिलाये विदेशो में भी झंडा लहराया है जैसे इंदिरा नूयी ,सुनीता विलियम्स इत्यादि|इन पर देश को नाज़ है| किन्तु ये  छिछोरापन जिसे देखने में भी शर्म आती है|उनका क्या करें?


क्या टीवी के ऐसे कार्यक्रम का अकाल पड़ गया है जो इस प्रकार का शो दिखाया जाता है|जिसमें लडकिया क्या साबित करना चाहती है कि मैं राहुल के काबिल नहीं हूँ या फिर लालच है कि इस शो से आगे कैरियर बनेगा चलो कैरियर कि बात तो समझ आती है किन्तु ऐसे फटे  हाल  प्रोग्राम से....इठलाती  मंडराती ये लडकिया, क्या यही कैरियर है?????????ख़ैर...ये तो हमारे समझ के परे है....शायद हम ठहरे बहनजी टाईप जिसे ये रासलीला समझ नहीं आती या फिर यूँ कहिये कि ये बातें हजम नहीं होती |मुझे तो जिन्दगी बिंदासी कि अच्छी लगती है ना कि गुलामी कि जहाँ हमारी परीक्षा ले ले कर हमें हर तराजू पर तौला जाये................ 

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही लिखा है आपने, अकाल नहीं पैसे की भूख इनमें इस कदर बढ़ गई है कि ये अपनी संस्कृति को भी भूलते जा रहे हैं ।

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