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शनिवार, 30 जनवरी 2010

बच्चों कि जानलेवा नादानी,माता पिता कि बढती परेशानी

 आजकल समाचारों में सबसे ज्यादा खबर कम उम्र के बच्चों द्वारा आत्महत्या की   होता है,दिल दहल जाता है ऐसा क्या हो गया है कि बच्चों को ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है?उनके माता पिता के लिए सोच कर लगता है कि उन पर क्या गुज़र रही होगी ? वो बच्चे के साथ ही ढेरों कल्पनाएँ कर लेते हैं कि मेरा बच्चा उचाईयों पर जायेगा,वो भी नाम कमाएगा ,इत्यादि | किन्तु ऐसे में जब असमय ख़ुदकुशी की खबर  तो  उनकी दुनिया सूनी  कर देती है|
लेकिन  प्रश्न  ये उठता है कि ये आखिर क्यों हो रहा है ?ये आत्मविश्वास कि कमी क्यों हो रही  है ? इसके पीछे किसे दोष दें ? ये हालात ऐसा क्या कर देता है कि इतने कम उम्र या यूँ  कहें कि कच्ची उम्र के ये बच्चे अपना जीवन समाप्त करने का कदम उठा लेते है?
इसका कारण शायद आत्मविश्वास,आत्मनिर्भरता, एवम आत्मसंयमता की कमी है | हमें अपने बच्चों को सीखाना होगा कि बुजदिल बन कर नहीं जीना है|  इसके लिए स्कूल कॉलेज भी जिम्मेदार है क्योकि आज जैसे रैगिंग पूर्णतः बंद हो चुकी है तब कॉलेज में रैगिंग कैसे संभव है | रैगिग चलने का मतलब स्कूल कॉलेज के प्रशासन की बहुत बड़ी लापरवाही है| अब रैगिंग के कारण यदि आत्महत्या जैसे शर्मनाक घटनाएँ होती है तो ऐसे में कॉलेज की तरफ से कड़ा कदम उठाना चाहिए | जिससे दुबारा ऐसी हरकत न हो | ख़ुदकुशी का दूसरा कारण अंक का कम आना है, इसके लिए घर परिवार स्कूल सभी जिम्मेदार हैं|बच्चों के ऊपर इतना दबाव मत दो की वो अपनी जिंदगी को ही अंक बना ले |
बच्चों को शुरू से ऐसी शिक्षा देनी चाहिए की ये जिंदगी इश्वर  की दी हुयी अनमोल चीज़ है | इसे सवांर कर रखना चाहिए| मुसीबत से लड़ना सीखो उससे मुंह मत मोड़ो| जिंदगी खोने के लिए नहीं बनी  है| प्रत्येक परेशानी एक सीख होता है ,एक पाठ होता है, सोना जब आग में तपता है तभी खरा होता है ठीक इसी प्रकार जिंदगी होती है जब परेशानियों को झेल कर आगे निकलती है तो एक चमकता हुआ सितारे  की तरह आती है|
अतः मुझे विश्वास है की लोग इस चीज़ को समझेगे ,परेशानी को दुसरो को बता कर हंस कर झेलेगे कभी भी गलती से भी कमज़ोर नहीं पड़ेंगे |

2 टिप्‍पणियां:

  1. Mai bilkul aapki baato se sahamat hu. hume kabhi kamjor nahi padni chahiye, Maile school me padha tha ki --
    " problems are opportuties to prove our skill "

    Aur yahi baat bachho ko bhi batana chahiye ki jindagi ki bahut kimat hai ise aise nahi khona chahiye, hume kabhi himmat nahi harni chahiye aur parents ko bhi cooperate karni chahiye.

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  2. bilkul sahi kaha aapne. Yah dukhdaaye sthiti hai, Maa-baap dono yadi bachho ko samay de to is tarah ke haadson ko roka ja sakta hai....
    Shubhkamnayen

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