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शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

आखिर हम दूसरों पर आश्रित क्यों है???



मानव जीवन ईश्वर  का दिया एक अनमोल उपहार है,जिसमें मनुष्य को जो सबसे कीमती वस्तु प्राप्त होती है वो है मस्तिष्क जिससे हम विचार कर सकते हैं अच्छा,भला  बुरा अपने जीवन को सँवारने का तरीका सोच सकते है, किन्तु फिर भी हम दूसरों पर ही आश्रित होते है|क्योकि हमें स्वयं से ज्यादा दूसरों पर भरोसा होता है |हमें अपने माता पिता सगे सबंधियों से ज्यादा तीसरे आदमी पर भरोसा होता है,जिसे हम ठीक तरीके से जानते भी नहीं|
हमें कैसे  जीवन व्यापन करना चाहिए  ये सभी जानते है किन्तु अपनाने के लिए हमें 'ART OF LIVING' में जाना होता है||जब  घर  में  माँ सुबह सो कर उठने को कहती है तो खराब लगता है किन्तु संस्था में जाकर हम नियम का पालन करते है और दूसरों को भी बताते हैं|
इसी प्रकार हम प्रवचन सुनने जाते है जहाँ यह बताया जाता है की हमें लोभ से दूर रहना चाहिए मायाजाल में नहीं फसना चाहिए इत्यादि नाना प्रकार के तरीके बताया जाता है किन्तु आप जरा ये सोचिये की जो प्रवचन दे रहा है वो कितना बड़ा ढोगी है जो स्वयं मायाजाल में फंसा है , बड़ी गाड़ी, महंगा फोन साथ में सेवा करने वाले इतने सहयोगी,वाह भाई वाह खुद को मायाजाल में फंसे हो तो दुसरो को भी  ऐश करने दो ,ये तो हम स्वयं सोच सकते है कि हमें जीवन में किस प्रकार रहना चाहिए इसके लिए प्रवचन कि क्या आवश्यकता?
पहले हम अपने खाने पीने के तरीकों को ठीक से नहीं रखते कोई व्यायाम नहीं करते, उम्र के बढने के साथ मोटापा बढ़ता है तो हमें VLCC जाना पड़ता है जिसमें आधा वजन उनके व्यायाम एवम प्रतिबंधित आहार से आधा वजन उनके दिए हुए बिल से कम हो जाता है|यदि हम शुरू से ही जुबान से ज्यादा स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर भोजन करे एवम नित्य व्यायाम करे तो आखिरी में बाबा रामदेव कि याद नहीं आएगी|

आज का युग प्रतियोगिता  का  युग  है , प्रतिस्पर्धा  का  युग  है|प्रत्येक बच्चा एवम उसके माता पिता इसी होड़ में लगे है कि उनका बच्चा इंजिनियर बन जाये, इसके लिए वो अंधे दौड़ में भाग रहें हैं|इसके लिए बच्चो को कोचिंग पर कोचिंग करा रहे है यदि उन्हें सही तरीके से परख ले तो शायद कोचिंग पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा और बच्चे को सही दिश भी मिलेगीकहने का तात्पर्य यही है कि ईश्वर ने जब हमें बुद्धि  दी है तो केवल दूसरों पर ही मत आश्रित हो थोडा स्वयं भी सोचो किसी बड़े कार्य के लिए दूसरों का सहारा लो किन्तु क्या पग पग पर दुसरो पर आश्रित होना उचित है??? ये जीवन के कुछ अहम पहलु थे जिसमे हम दूसरों का सहारा लेते है ऐसे ही और भी बहुत से पहलु है जिसे हम दूसरों के सहारे  पर जीना चाहते है|

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